Ad

baby corn ki fasal

बेबी कॉर्न की खेती (Baby Corn farming complete info in hindi)

बेबी कॉर्न की खेती (Baby Corn farming complete info in hindi)

दोस्तों आज हम बात करेंगे बेबी कॉर्न की खेती के विषय में, बेबी कॉर्न (Baby Corn) जिसे हम आम भाषा में मक्का या फिर भुट्टे के नाम से भी जाना जाता है। यह लोगों में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हैं लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं तथा विभिन्न विभिन्न तरह से इनकी डिशेस बनाते हैं। बेबी कॉर्न से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे:

बेबी कॉर्न क्या है

बेबी कॉर्न मक्के का ही एक समूह है यानी आम भाषा में कहें तो या मक्के का परिवार है बेबी कॉर्न को मक्का या भुट्टा कहा जाता है। बेबी कॉर्न रेशमी तथा कोपलें की तरह दिखते हैं। किसान बेबी कॉर्न की कटाई तब करते हैं जब यह आकार में छोटे होते हैं और यह पूरी तरह से अपरिपक्व हो। बेबी कॉर्न जल्दी ही परिपक्व हो जाते हैं इसीलिए किसान इन की कटाई जल्दी कर देते हैं।कटाई के बाद बेबी कॉर्न को हाथों द्वारा खेतों से चुना जाता है।बेबी कॉर्न आमतौर पर दिखने में गुलाबी, सफेद, नीले, पीले रंगो के रूप में पाए जाते हैं। बेबी कार्न खाने में बहुत ही ज्यादा मुलायम और सौम्य होते हैं।इसीलिए यह बहुत ही ज्यादा दुनिया भर में मशहूर है। प्राप्त की गई जानकारियों से या पता चला है। कि बेबी कॉर्न एशिया में बहुत ही ज्यादा खाने तथा अन्य डिशेस में इस्तेमाल किया जाता है। 

 ये भी देखें: भविष्य की फसल है मक्का

बेबी कॉर्न से स्वास्थ्य को लाभ

बेबी कॉर्न खाने से स्वास्थ्य को विभिन्न विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं यह लाभ कुछ इस प्रकार है: सर्वप्रथम बेबी कॉर्न में मौजूद तत्व जैसे आयरन, विटामिन बी, फोलिक एसिड की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह सभी आवश्यक तत्व शरीर में एनीमिया की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं। न्यूट्रिएंट से कॉर्न परिपूर्ण होते हैं। बेबी कॉर्न सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। फाइबर की मात्रा बेबी कॉर्न में काफी पाई जाती है। इसमें कैलोरी काफी कम होती है, वजन को कम करने में बेबी कॉर्न बहुत ही ज्यादा सहायक होते हैं। बेबी कॉर्न रक्त शर्करा के स्तर को पूरी तरह से नियंत्रित करता है

बेबी कॉर्न उत्पादन वाले राज्य

भारत में सबसे ज्यादा बेबीकॉर्न का उत्पादन करने वाले राज्य कुछ इस प्रकार है : जैसे बिहार कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्य है जहां बेबी कॉर्न की खेती उच्च मात्रा में होती है। बेबी कॉर्न सबसे ज्यादा राजस्थान और कर्नाटक में सर्वाधिक मात्रा में इसका उत्पादन होता है।

बेबी कॉर्न की खेती

बेबी कॉर्न की ख़ेती करना किसानों के लिए हर प्रकार से लाभदायक होता है, किसान बेबी कॉर्न की खेती 1 वर्ष में लगभग 3 से 4 बार करते हैं। बेबी कॉर्न की ख़ेती रबी के मौसम में की जाती है। इस खेती में लगभग 110 से 120 दिनों का समय लगता है। बेबी कॉर्न की फसल जायद के मौसम में लगभग 70 से 80 दिनों का समय लगाती है। बेबी कॉर्न की फसल खरीफ के मौसम में 55 से 65 दिनों का समय लेकर तैयार होती है। इन तीनों मौसम में किसान बेबी कॉर्न की फसल से आय का विभिन्न विभिन्न प्रकार से लाभ उठाते हैं।

बेबी कॉर्न की खेती के लिए जलवायु

बेबी कॉर्न की खेती के लिए अच्छी धूप की व्यवस्था करना बहुत ही ज्यादा उपयोगी होती हुई।अच्छी जलवायु के साथ ही साथ 22 डिग्री सेल्सियस से लेकर 28 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता पड़ती है।इन तापमान के आधार पर बेबी कॉर्न की फसल का उत्पादन उच्च कोटि पर होता है।

बेबी कॉर्न की खेती के लिए मिट्टी चयन

बेबी कॉर्न की खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त और जो अच्छी मिट्टी का चयन किया जाता है वह मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी है। अम्लीय मिट्टी में इस फसल को उगाया जाता है। खेतों में जल निकास की व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए।

बेबी कॉर्न की फसल के लिए खेत को तैयार करना

सबसे पहले बेबी कॉर्न की फसल को तैयार करने से लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी होती है। फसल को उगाने के लिए भूमि में लगभग 15 टन हेक्टर फार्म यार्ड खाद की आवश्यकता होती है। किसान खेत की जुताई करने के लिए डिस्क हल का इस्तेमाल करते हैं। 


ये भी पढ़े: मक्का की खेती के लिए मृदा एवं जलवायु और रोग व उनके उपचार की विस्तृत जानकारी 

दो से तीन बार डिस्क हल से जुताई करने के बाद बेबी कॉर्न की खेती के लिए कल्टीवेटर द्वारा जुताई की जाती है।इस प्रक्रिया द्वारा मिट्टी को बारीक किया जाता है। ताकि बीजों का अच्छे से वातन के साथ-साथ बेहतरीन ढंग से अंकुरण हो सके। बेबी कॉर्न के मेड़ें और खांचे लगभग 45 से लेकर 25 सेंटीमीटर की दूरी पर बनाया जाता है।

बेबी कॉर्न के लिए बीज दर तथा दूरी

बेबी कॉर्न की खेती करने के लिए किसान उच्च कोटि की गुणवत्ता वाले बीज का इस्तेमाल करते हैं। फसलों के लिए किसान बीज का लगभग 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर भूमि में इस्तेमाल करते हैं। बेबी कॉर्न की फसल में खेतों की दूरी पौधों से लगभग 15 सेंटीमीटर की होती है। 


दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि हमारा यह आर्टिकल बेबी कॉर्न की ख़ेती (BabyCorn farming complete information in hindi) आपको पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल से आपने बेबी कॉर्न से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी प्राप्त की होगी। हमारी इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद।

कटाई के बाद अप्रैल माह में खेत की तैयारी (खाद, जुताई ..)

कटाई के बाद अप्रैल माह में खेत की तैयारी (खाद, जुताई ..)

किसान फसल की कटाई के बाद अपने खेत को किस तरह से तैयार करता है? खाद और जुताई के ज़रिए, कुछ ऐसी प्रक्रिया है जो किसान अपने खेत के लिए अप्रैल के महीनों में शुरू करता है वह प्रतिक्रियाएं निम्न प्रकार हैं: 

कटाई के बाद अप्रैल (April) महीने में खेत को तैयार करना:

इस महीने में रबी की फसल तैयार होती है वहीं दूसरी तरफ किसान अपनी जायद फसलों की  तैयारी में लगे होते हैं। किसान इस फसलों को तेज तापमान और तेज  चलने वाली हवाओ से अपनी फसलों को  बचाए रखते हैं तथा इसकी अच्छी देखभाल में जुटे रहते हैं। किसान खेत में निराई गुड़ाई के बाद फसलों में सही मात्रा में उर्वरक डालना आवश्यक होता है। निराई गुड़ाई करना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि कई बार सिंचाई करने के बाद खेतों में कुछ जड़े उगना शुरू हो जाती है जो खेतों के लिए अच्छा नही होता है। इसीलिए उन जड़ों को उखाड़ देना चाहिए , ताकि खेतों में फसलों की अच्छे बुवाई हो सके। इस तरह से खेत की तैयारी जरूर करें। 

खेतों की मिट्टी की जांच समय से कराएं:

mitti ki janch 

अप्रैल के महीनों में खेत की मिट्टियों की जांच कराना आवश्यक है जांच करवा कर आपको यह  पता चल जाता है।कि मिट्टियों में क्या खराबी है ?उन खराबी को दूर करने के लिए आपको क्या करना है? इसीलिए खेतों की मिट्टियों की जांच कराना 3 वर्षों में एक बार आवश्यक है आप के खेतों की अच्छी फसल के लिए। खेतों की मिट्टियों में जो पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे :फास्फोरस, सल्फर ,पोटेशियम, नत्रजन ,लोहा, तांबा मैग्नीशियम, जिंक आदि। खेत की मिट्टियों की जांच कराने से आपको इनकी मात्रा का भी ज्ञान प्राप्त हो जाता है, कि इन पोषक तत्व को कितनी मात्रा में और कब मिट्टियों में मिलाना है इसीलिए खेतों की मिट्टी के लिए जांच करना आवश्यक है। इस तरह से खेत की तैयारी करना फायेदमंद रहता है । 

ये भी पढ़े: अधिक पैदावार के लिए करें मृदा सुधार

खेतों के लिए पानी की जांच कराएं

pani ki janch 

फसलो के लिए पानी बहुत ही उपयोगी होता है इस प्रकार पानी की अच्छी गुणवत्ता का होना बहुत ही आवश्यक होता है।अपने खेतों के ट्यूबवेल व नहर से आने वाले पानी की पूर्ण रूप से जांच कराएं और पानी की गुणवत्ता में सुधार  लाए, ताकि फसलों की पैदावार ठीक ढंग से हो सके और किसी प्रकार की कोई हानि ना हो।

अप्रैल(April) के महीने में खाद की बुवाई करना:

कटाई के बाद अप्रैल माह में खेत की तैयारी (खाद, जुताई) 

 गोबर की खाद और कम्पोस्ट खेत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होते हैं। खेत को अच्छा रखने के लिए इन दो खाद द्वारा खेत की बुवाई की जाती है।मिट्टियों में खाद मिलाने से खेतों में सुधार बना रहता है,जो फसल के उत्पादन में बहुत ही सहायक है।

अप्रैल(April) के महीने में हरी खाद की बुवाई

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से गोबर की खाद का ज्यादा प्रयोग नहीं हो रहा है। काफी कम मात्रा में गोबर की खाद का प्रयोग हुआ है अप्रैल के महीनों में गेहूं की कटाई करने के बाद ,जून में धान और मक्का की बुवाई के बीच लगभग मिलने वाला 50 से 60 दिन खाली खेतों में, कुछ कमजोर हरी खाद बनाने के लिए लोबिया, मूंग, ढैंचा खेतों में लगा दिए जाते हैं। किसान जून में धान की फसल बोने से एक या दो दिन पहले ही, या फिर मक्का बोने से 10-15 दिन के उपरांत मिट्टी की खूब अच्छी तरह से जुताई कर देते हैं इससे खेतों की मिट्टियों की हालत में सुधार रहता है। हरी खाद के उत्पादन  के लिए सनई, ग्वार , ढैंचा  खाद के रूप से बहुत ही उपयुक्त होते हैं फसलों के लिए।  

अप्रैल(April) के महीने में बोई जाने वाली फसलें

april mai boi jane wali fasal 

अप्रैल के महीने में किसान निम्न फसलों की बुवाई करते हैं वह फसलें कुछ इस प्रकार हैं: 

साठी मक्का की बुवाई

साठी मक्का की फसल को आप अप्रैल के महीने में बुवाई कर सकते हैं यह सिर्फ 70 दिनों में पककर एक कुंटल तक पैदा होने वाली फसल है। यह फसल भारी तापमान को सह सकती है और आपको धान की खेती करते  समय खेत भी खाली  मिल जाएंगे। साठी मक्के की खेती करने के लिए आपको 6 किलोग्राम बीज तथा 18 किलोग्राम वैवस्टीन दवाई की ज़रूरत होती है। 

ये भी पढ़े: Fasal ki katai kaise karen: हाथ का इस्तेमाल सबसे बेहतर है फसल की कटाई में

बेबी कार्न(Baby Corn) की  बुवाई

किसानों के अनुसार बेबी कॉर्न की फसल सिर्फ 60 दिन में तैयार हो जाती है और यह फसल निर्यात के लिए भी उत्तम है। जैसे : बेबी कॉर्न का इस्तेमाल सलाद बनाने, सब्जी बनाने ,अचार बनाने व अन्य सूप बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। किसान बेबी कॉर्न की खेती साल में तीन चार बार कर अच्छे धन की प्राप्ति कर सकते हैं। 

अप्रैल(April) के महीने में मूंगफली की  बुवाई

मूंगफली की फसल की बुवाई किसान अप्रैल के आखिरी सप्ताह में करते हैं। जब गेहूं की कटाई हो जाती है, कटाई के तुरंत बाद किसान मूंगफली बोना शुरू कर देते है। मूंगफली की फसल को उगाने के लिए किसान इस को हल्की दोमट मिट्टी में लगाना शुरु करते हैं। तथा इस फसल के लिए राइजोवियम जैव खाद का  उपचारित करते हैं। 

अरहर दाल की बुवाई

अरहर दाल की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान इसकी 120 किस्में अप्रैल के महीने में लगाते हैं। राइजोवियम जैव खाद में 7 किलोग्राम बीज को मिलाया जाता है। और लगभग 1.7 फुट की दूरियों पर लाइन बना बना कर बुवाई शुरू करते हैं। बीजाई  1/3  यूरिया व दो बोरे सिंगल सुपर फास्फेट  किसान फसलों पर डालते हैं , इस प्रकार अरहर की दाल की बुवाई की जाती है। 

अप्रैल(April) के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां

April maon boi jane wali sabjiyan अप्रैल में विभिन्न विभिन्न प्रकार की सब्जियों की बुवाई की जाती है जैसे : बंद गोभी ,पत्ता गोभी ,गांठ गोभी, फ्रांसबीन , प्याज  मटर आदि। ये हरी सब्जियां जो अप्रैल के माह में बोई जाती हैं तथा कई पहाड़ी व सर्द क्षेत्रों में यह सभी फसलें अप्रैल के महीने में ही उगाई जाती है।

खेतों की कटाई:

किसान खेतों में फसलों की कटाई करने के लिए ट्रैक्टर तथा हार्वेस्टर और रीपर की सहायता लेते हैं। इन उपकरणों द्वारा कटाई की जाती है , काटी गई फसलों को किसान छोटी-छोटी पुलिया में बांधने का काम करता है। तथा कहीं गर्म स्थान जहां धूप पढ़े जैसे, गर्म जमीन , यह चट्टान इन पुलिया को धूप में सूखने के लिए रख देते है। जिससे फसल अपना प्राकृतिक रंग हासिल कर सके और इन बीजों में 20% नमी की मात्रा पहुंच जाए। 

ये भी पढ़े: Dhania ki katai (धनिया की कटाई)

खेत की जुताई

किसान खेत जोतने से पहले इसमें उगे पेड़ ,पौधों और पत्तों को काटकर अलग कर देते हैं जिससे उनको साफ और स्वच्छ खेत की प्राप्ति हो जाती है।किसी भारी औजार से खेत की जुताई करना शुरू कर दिया जाता है। जुताई करने से मिट्टी कटती रहती है साथ ही साथ इस प्रक्रिया द्वारा मिट्टी पलटती रहती हैं। इसी तरह लगातार बार-बार जुताई करने से खेत को गराई प्राप्त होती है।मिट्टी फसल उगाने योग्य बन जाती है। 

अप्रैल(April) के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां:

अप्रैल के महीनों में आप निम्नलिखित सब्जियों की बुवाई कर ,फसल से धन की अच्छी प्राप्ति कर सकते हैं।अप्रैल के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां कुछ इस प्रकार है जैसे: धनिया, पालक , बैगन ,पत्ता गोभी ,फूल गोभी कद्दू, भिंडी ,टमाटर आदि।अप्रैल के महीनों में इन  सब्जियों की डिमांड बहुत ज्यादा होती है।  अप्रैल में शादियों के सीजन में भी इन सब्जियों का काफी इस्तेमाल किया जाता है।इन सब्जियों की बढ़ती मांग को देखते हुए, किसान अप्रैल के महीने में इन सब्जियों की पैदावार करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे इस आर्टिकल द्वारा कटाई के बाद खेत को किस तरह से तैयार करते हैं , तथा खेत में कौन सी फसल उगाते हैं आदि की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली होगी। यदि आप हमारी दी हुई खेत की तैयारी की जानकारी से संतुष्ट है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को सोशल मीडिया तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं.